Poetry Talk
New post from Nirali Solanki
कुछ अनकहे जज़्बात
हमे ऐसा सिखाया था
हमे ऐसा सिखाया था
किसी के करीब जायोगे तो ग़म पायोगे ,
पर जनाब कैसे रुक जाते हम
जब वेह हमारी राह देख रहे थे I
कैसे ना चल पड़ते हम
जब वेह हमारे साथ चल रहे थे I
कैसे ना हम उनका हाथ थामते
जब वेह हमारा साथ चाहते थे I
कैसे ना हम उनकी बाँहों मे होते
जब वेह हमारी बाँहों मे थे I